पर्वतों की धार पर, प्रकृति का श्रंगार कर... पर्वतों की धार पर, प्रकृति का श्रंगार कर...
ना कोई काम है ना ही लोग मेरे आस-पास, हर दिन लगने लगा हैं, ना कोई काम है ना ही लोग मेरे आस-पास, हर दिन लगने लगा हैं,